वंश वृक्ष लॉगिन

वंशावाली जबसे मैंने होश सम्हाला तब से देखा की जब कभी भी हमारे परिवार के बुजुर्ग(पुरुष) की मृत्यु होती है तो क्रियाक्रम मे गोत्र के अलावा उस बुजुर्ग के चार पीढी के दादा, परदादा के नाम पंडित द्वारा मांगा जाता है साथ ही किसी बुजुर्ग (महिला) की मृत्यु होने पर पति की(चार पीढी) दादी व परदादी के नाम, लगते है साथ ही कौन कौन सुहागन मृत्यु को प्राप्त हुआ कौन नही।

आजकल की भाग दौड़ वाली जिंदगी मे ऐसे समय परिवार के सदस्य अलग अलग शहरों मे जॉब के कारण अलग रहते है ऐसी स्थिति मे माॅ या पिता की मृत्यु होने पर अपने पीढी के बारे मे जानकरी न होने से उनका क्रियाक्रम विधि पूर्ण पूरा करने मे दिक्कत होती है अतः उसे सुगम करने हेतु वंशावली बनाई जा रही है जिसमे मेरे परिवार के कई बड़े सदस्यों द्वारा भी सहयोग किया गया है।

सतीश राजापुरकर

श्री मधुकर भास्कर राजापुरकर व सौ ऊषा राजापुरकर

उपरोक्त वंशावली मै अपने पिता स्व. श्री मधुकर भास्कर राजापुरकर व माता स्व. सौ ऊषा राजापुरकर को समर्पित करता हु ,जिन्होंने अपने पिता स्व. श्री भास्कर रामचंद्र राजापुरकर को दिये गए वचन को निभाया, जिसमे उन्होंने अपने छोटे भाईयो को पढाना व शादी कर उनके घर बसाना शामिल था जिसमे उनकी पत्नी स्व. ऊषा राजापुरकर ने बखूबी साथ निभाया |